DAV Journals:
Prabha - प्रभा:
(A Multilingual Journal of Humanities & Social Science)
प्रभा- प्रकाशन का उद्देश्य
सामाजिक प्रासंगिकता, मौलिक प्राथमिकता और सांस्कृतिक गुणवत्ता के सवाल, जो हाशिये पर चले गये हैं, उन्हें केंद्र में लाने की चिंता के साथ इस रिसर्च जर्नल का प्रकाशन शुरू किया गया है| यह कार्य गहरी अनुसंधान दृष्टि की मांग करता हैं| इस अन्तर्विषयी शोध पत्रिका के माध्यम से चिंतन विश्लेषण और अभिव्यक्ति की नई चेतना प्रवाहित करने का संकल्प लेकर हम चले हैं| संपादक मंडल आग्रह मुक्त है और रिसर्च जर्नल के माध्यम से विचारों की खुली बहस का स्वागत करता हैं| संवाद में सबकी सहभागिता आवश्यक है | हमारा प्रयास शैक्षणिक तरक्की के साथ-साथ दृष्टि संपन्न अनुसंधान के माध्यम से रचनात्मक अकादमिक उन्नयन का लक्ष्य हासिल करना है, दायित्वपूर्ण सहभागिता सुनिश्चित करनी है | हमारा प्रयास सामूहिकता में है और प्रसन्नता की बात यह है कि शिक्षा की संस्कृति और संस्कृति की शिक्षा के लिहाज से डी. ए. वी. पी.जी. कालेज न सिर्फ रचनात्मक पुनर्नवता का आकांक्षी है बल्कि सृजनात्मक पुनर्नवता का प्रयोग केंद्र (Centre of Experiment with Innovative Creativity) बनाना चाहता है| रिसर्च जर्नल ‘प्रभा’ इस सामूहिक सहभागिता का सार्थक वैचारिक पड़ाव है | इस अन्तरानुशासनिक शोध पत्रिका के माध्यम से चिंतन, शोध-विश्लेषण और अभिव्यक्ति की नई चेतना प्रवाहित करने का संकल्प लेकर हम चले हैं, हमारा ध्येय है : ‘वाद-विवाद संवाद और जरुरी अनुसंधान को प्रकाश में लाना एवं अपने पाठको का ज्ञान अन्तरिक्ष विस्तृत करना’|
प्रभा के प्रकाशन की अवधि अर्धवार्षिक होगी | चिंतन – शोध- विश्लेषण और अभिव्यक्ति की नई चेतना प्रवाहित करने का संकल्प लेकर हम चले हैं, इसका पूर्ण दावा तो नहीं कर सकते लेकिन कोशिश तो कर ही सकते है| Research Journal विभिन्न अभिरुचियों के तमाम पाठको तक पहुचाने की प्रतिबद्धता के साथ शुरू हो रही है| प्रभा के माध्यम से सांस्कृतिक विश्लेषण, समाजशास्त्रीय विश्लेषण और राष्ट्रीय नवोत्थान के साथ-साथ रचनात्मक – कलात्मक महत्व के परिपेक्ष्य को अकादमिक सहभागिता से समझने की कोशिश होगी| समाज संस्कृति, ज्ञान अनुसंधान, इतिहास दर्शन के साथ राष्ट्रीय अस्मिताबोध की पहचान की दिशा में ‘प्रभा’ अकादमिक संवाद का मंच है| हमारा उद्देश्य विचार, प्रतिघटना, युगबोध और सामुदायिक जीवन संस्कृति के कोलाहल को समझना – समझाना है|
Journal of Economics and Commerce
A Bi-annual referred journal of DAV PG College
From editor's pen:
Journal of Economics and Commerce (JEC) is a biannual peer reviewed Journal of the DAV PG College (NAAC Graded A+), Banaras Hindu University, Varanasi, being published since 2010 in the months of January and July. This Journal provides economists and academicians an exclusive forum for publishing their work pertaining to theoretical understanding of economics as well as empirical policy analysis of economic, commerce and other related issues in broader context. It provides an interdisciplinary forum for the publication of theoretical perspectives, research findings, case studies, policy analyses and normative critiques on the issues, problems and policies of both mainstream and alternative approaches to development.
The mission of this Journal is to promote young teachers, research scholars and other students supporting the formulation of evidence-based economic and other issues for the publication that can be scholarly, applied, or practice oriented.